Mandi bhav: बासमती धान की कीमतों में गिरावट, 2500 रुपये क्विंटल तक पहुंचे धान के दाम, किसानों के लिए चिंता का विषय
Mandi bhav: बासमती धान की कीमतों में गिरावट, 2500 रुपये क्विंटल तक पहुंचे धान के दाम, किसानों के लिए चिंता का विषय
बासमती धान की कीमतों में इस साल भारी गिरावट दर्ज की गई है, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। पिछले साल के मुकाबले, बासमती की कीमतें 28.5% तक कम हो गई हैं। वर्तमान में, मंडियों में बासमती धान की कीमतें 2500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच चुकी हैं, जबकि पिछले साल इसी समय ये कीमतें 3200 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं।
कीमतों में गिरावट के कारण
इस गिरावट का मुख्य कारण भारत सरकार द्वारा बासमती पर लागू किया गया न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) है, जिसे 950 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया गया है। एमईपी नीति ने बासमती के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे मंडियों में कीमतों में गिरावट आई है। बासमती धान का उत्पादन भी बढ़ा है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। पिछले साल, बासमती उत्पादन में लगभग 25% की वृद्धि हुई थी, और इस साल भी अच्छी बुवाई के कारण उत्पादन में 15% की वृद्धि का अनुमान है।
किसानों की चिंता
कई मंडियों में, बासमती की कीमतें सामान्य धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से थोड़ा ही ऊपर रह गई हैं। केंद्र सरकार द्वारा आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए सामान्य धान का एमएसपी 2300 रुपये और ग्रेड-ए धान के लिए 2320 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। बासमती की कीमतों में गिरावट किसानों के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब बासमती धान की खेती प्रमुख उत्पादक राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और जम्मू कश्मीर में होती है।
व्यापारियों की राय
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया के अनुसार, एमईपी की वजह से निर्यात पर बुरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा, “950 डॉलर प्रति टन का उच्च एमईपी बासमती के निर्यात को प्रभावित कर रहा है, और इसे कम करने की जरूरत है।” हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने भी इस बात पर जोर दिया कि एमईपी को 700 डॉलर प्रति टन तक घटाना चाहिए या इसे पूरी तरह हटाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर सरकार यह कदम नहीं उठाती है, तो पाकिस्तान से बासमती का निर्यात बढ़ेगा, जिससे भारतीय बासमती व्यापार को नुकसान पहुंचेगा।”